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हिरणखुरी (काॅनवोलवुलस आर्वेनसिस)

हिरणखुरी (काॅनवोलवुलस आर्वेनसिस)

( चैड़ी पत्ती वाले खरपतवार )


  • बुआई से पूर्व गहरी जुताई करे। 
  • बुआई के समय स्वस्थ, शुद्ध और साफ बीजों का उपयोग करे। 
  • यांत्रिक विधि द्वारा खरपतवारों का नियंत्रण (व्हील-हो इत्यादि) करे। 
  • फसल की प्रारम्भिक अवस्था में जब फसल एवं खरपतवार के मध्य प्रतिस्पर्धा अधिकतम् होती है (बुवाई के 30-45 दिन पश्चात तथा 55-60 दिन पश्चात) निराई और गुडा़ई के माध्यम से खरपतवारों को निकालना दें।
  • उचित फसल चक्र को अपनाकर 

उदाहरण के लिए चनें की फसल को एक ही खेत में बार-बार बोने से बथुआ, गेंहूँ का मामा इत्यादि खरपतवारों का प्रकोप व्याप्त हो जाता है जिससे मुख्य फसल की उपज में कमी दर्ज होती है। अतः यह अत्यन्त आवश्यक है कि एक फसल को एक ही भू-क्षेत्र में न बोया जाये।

  • अन्तः फसल के रुप में सरसों व अलसी को लेने पर खरपतवार के प्रकोप को कम कर सकते है।
  • खरपतवारनाशी रसायन पेन्डीमिथलीन 1.25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर का प्रयोग बुवाई पश्चात एवं अंकुरण पूर्व (बुवाई के 48 घंटे के अन्दर) करें तथा बुवाई के 40-45 दिन पश्चात खुरपी द्वारा निराई और गुडा़ई के माध्यम से खरपतवारों को निकालें।
  • पेन्डीमिथलीन 1.25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर (बुवाई के 48 घंटे के अन्दर) के बाद क्युजालोफोप-इथाईल 0.1 कि.ग्रा./हेक्टेयर (बुवाई के 20-25 दिन पश्चात) मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर फ्लैट-फैन नोजल द्वारा छिड़काव करें।